बाल कविताये ऐसी कि बड़ो को भी अपना बचपन याद आ जाये
मुर्गी की शादी
धम धम धम धम ढोल बजाता कूद कूद कर बंदर ।
छम छम घुंघरू बांध नाचता भालू मस्त कलंदर।।
कुकू कुकू कोयल गाती मीठा मीठा गाना ।।
मुर्गी की शादी में है बस दिन भर मौज उड़ाना ।।
ता ता थैया
घोड़ा नाचे हाथी नाचे नाचे सोन चिरैया ।
किलक किलक कर बंदर नाचे ता ता ता ता थैया।
ठुमक ठुमक कर रहा नाचे ऊंट मेमना गैया।
आ पहुंचा जब शेर नाचने मची हाय रे दैया।
चूहा
वह देखो वह आता चूहा ,
आंखों को चमकाता चूहा ।
मूछों से मुस्काता चूहा ,
लंबी पूंछ हिलाता चूहा ।
मक्खन रोटी खाता चूहा,
बिल्ली से डर जाता चूहा।।
आलू कचालू
आलू कचालू बेटा कहां गए थे ?
बंदर की झोपड़ी में सो रहे थे।
बंदर ने लात मारी रो रहे थे ।
मम्मी ने प्यार किया हंस रहे थे ।
पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे ।
भैया ने लड्डू दिए हंस रहे थे ।
सरपट झटपट
दौड़े लाल टमाटर सरपट।
हरे मटर भी आए झटपट ।
गोभी जरा लुढ़कते आई ।
धनिये ने भी दौड़ लगाई ।
सरपट झटपट झटपट सरपट ।
दौड़ लगाई दौड़ लगाई ।।
मछली रानी
मछली रानी मछली रानी
बोल ,नदी में कितना पानी ?
थोड़ा भी है ,ज्यादा भी है ।
मैं कितना बतलाऊं पानी।
मुझको तो है थोड़ा पानी ।
पर तुमको है ज्यादा पानी ।
मेरी बिल्ली काली पीली
मेरी बिल्ली काली पीली ।
पानी से वह हो गई गीली ।
गीली होकर लगी कांपने ।
आंछी आंछी लगी छिकने।
मैं फिर बोली कुछ तो सीख।
बिन रुमाल के कभी न छींक।
हाथी आया झूम के
हाथी आया झूम के ।
धरती मिट्टी चुमके।
कान हिलाता पंखे जैसा ।
देखो मोटा ऊंचा कैसा ।
सूंड़ हिलाता आता है
गन्ना पत्ती खाता है ।
हाथी के दो लंबे दांत ।
सूंड़ बनी है इसके साथ।
इससे ही यह लेता रोटी ।
आंखें इसकी छोटी छोटी ।
उड़ी पतंग
सर सर सर उड़ी पतंग ।
फर फर फर फर उड़ी पतंग ।
इसको काटा उसको काटा ।
खूब लगाया सैर सपाटा ।
अब लड़ने में जुटी पतंग ।
अरे कट गई लूटी पतंग।।